“बरसात” त्रैमासिक पत्रिका का शुभारंभ श्री सतीश कुमार सरदाना द्वारा

ज्ञात हो कि बैंककर्मी और साहित्यकार श्री सतीश कुमार सरदाना ने हिन्दी साहित्यिक पत्रिकाओं की दुनिया में एक नयी त्रैमासिक पत्रिका “बरसात” (अस्थायी नाम) का प्रकाशन करने का निर्णय लिया है. प्रवेशांक के लिए मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ आमंत्रित की गईं हैं. रचनाएँ सिर्फ ईमेल के द्वारा भेजी जा सकतीं हैं. ईमेल है- [email protected]

बरसात पत्रिका की रूपरेखा निम्न है:-
हर अंक का एक साहित्य क्षेत्र का अतिथि संपादक होगा.
सम्पादकीय
साहित्य के इतिहास से
पहले अंक में सुझाव का कॉलम होगा
दूसरे अंक से पाठकों के पत्र होंगे
सात कहानियाँ छपेंगी, जिनमें से दो अनूदित कहानियां और एक युवा लेखक की कहानी होगी।
शेष पाँच कहानियां स्थापित लेखकों की होंगी।
कविताओं का कॉलम होगा
पाँच लेख होंगे जिनमें से एक अनूदित,एक युवा लेखक और शेष तीन लेखकों के लेख होंगे।
पाँच-दस तक लघुकथाएं शामिल करने की कोशिश रहेगी।
तीन समीक्षाएं होंगी, एक साक्षात्कार.
साहित्यिक क्षेत्रों की गतिविधियां और विश्वविद्यालयों के हिंदी, संस्कृत, संगीत और कला विभागों की गतिविधियां होंगी
एक लेख कला-दीर्घा और एक लेख संगीत-नाटक से संबंधित होगा.
यह अस्थायी रूपरेखा है, निरन्तर मिलते सुझावों से परिवर्तन किया जा सकता है।
संपादक की स्वेच्छा का पूरा आदर किया जाएगा.
बरसात पत्रिका (त्रैमासिक) की दस वर्षीय सदस्यता 3000 रुपए व्यक्तिगत है और 5000 रुपए संस्थागत है।
पंचवर्षीय सदस्यता 1500 रुपए और 2500 रुपए है।
वार्षिक 300 रुपए और 500 रुपए है।
एक अंक का मूल्य डाक खर्च सहित 100 रुपए है।
ई-बुक का मूल्य 70 रुपए है।
वर्ष में चार अंक आयेंगे
जनवरी-मार्च
अप्रैल-जून
जुलाई-सितंबर
अक्तूबर-दिसंबर
इसके अलावा एक वार्षिक कैलेंडर और एक कहानी-संकलन, कविता-संकलन या लेख संकलन आएगा.
एक वार्षिक उत्सव होगा.

बचपन से साहित्य पढ़ने का शौक. अनेक भाषाओं की पुस्तकें पढ़कर अपना विचार देना. तत्पश्चात पुस्तकों की समीक्षा करना. फिर लिखना प्रारम्भ. अब तक “अवली”, “इन्नर” “बारहबाना” और “प्रभाती” का सफल सम्पादन.