“पगडंडी टू हाईवे” के लिए श्री संजय कुमार अविनाशजी को बधाई और शुभकामनाएँ देता हूँ। इसका प्रकाशन बेस्ट बुक बडीज टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड ने हार्ड रंगीन कवर में मूल्य 500 रुपये रखकर किया है। 204 पेजों की पुस्तक अच्छे पेज और अच्छी प्रिंटिंग में है। पुस्तक का नाम भले ही अंग्रेजी है लेकिन बातें बिल्कुल ग्रामीण हैं।
यह पुस्तक अविनाशजी ने अपने इलाके के एक स्कूल की स्थापना और उस स्कूल से जुड़े शिक्षकों, इलाके के शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों के द्वारा दिये गए योगदान और अन्य योगदान देनेवाले विभूतियों को याद करने हेतू किया है।
इन शिक्षकों का जीवन परिचय जुटाकर एक पुस्तक के रूप में निकालना अपने में दुरूह कार्य रहा होगा लेकिन जानकारी देने में सफल रहे हैं। इनमें से कुछ अभी हैं तो उनसे बातचीत कर उनका अनुभव और जो अभी जीवित नहीं है उनके परिवार के लोगों से मिलकर उनके बारे में जानकारियाँ जुटाकर हम सबके बीच उन्होंने रखा है। ये बधाई के पात्र हैं।
जीवनी इस प्रकार लिखी गयी है कि लगता है सामने देश आजाद हुआ है, अब स्कूल की स्थापना हो रही है। इनका इनका सहयोग मिल रहा। लिखने का तरीका रोचक है।
सबसे बड़ी बात कि आज के समय में कौन किसे याद करता है? आत्म प्रशंसा से फुरसत कहाँ किसी को। कल एक फोटो देखा था। एक बीमार को पंद्रह लोग मिलकर दो केले दे रहे थे, फेसबुक पर महादान करते फोटो पोस्ट किया है। मैंने देखते ही डिलीट किया।
ऐसे वातावरण में अविनाशजी ने उन सभी महानुभावों की जीवनी लिखकर अगली पीढ़ी के सामने एक ऐतिहासिक पुस्तक रख दिया है। भावी पीढ़ियाँ इस पुस्तक को देखेंगी और इन्हें नमन करेंगी। एक धरोहर के रूप में यह पुस्तक रहेगी। हालाँकि पुस्तक में जिन्हें याद किया गया है वो इनके गाँव और आसपास के ही हैं लेकिन जानकारी बढ़िया है और लिखने का तरीका भी सुंदर है। एक इलाका ही सही।
इस पुस्तक में श्री लक्ष्मी नारायण सिंहा, ग्राम- झपानी, श्री देवकी नंदन महतो, ग्राम -सलारपुर, स्व. राम चरित्र महतो एवं स्व. सुशील झा, ग्राम- खावा, श्री केशव प्रसाद सिंह, ग्राम- देवघरा, श्री बालेश्वर मंडल, ग्राम-सफीपुर, श्री सिंघेश्वर प्रसाद यादव एवं मो.आफ़ताब आलम और श्री कमलेश्वरी दास, ग्राम-मेदिनी चौकी और डॉक्टर कमलकांत, ग्राम-खावा की जीवनी और अभी तक की यात्रा का विस्तार से वर्णन है। इनके द्वारा समाज को दिए गये योगदान की चर्चा है। सभी बिहार के लखीसराय जिले के ही हैं।
मैं इन सभी महापुरुषों को समाज के लिए उनके योगदान हेतु नमन करता हूँ और लेखक अविनाशजी को पुनः इतने लोगों से परिचय करवाने हेतु आभार प्रकट करता हूँ। एक साधारण दवा व्यवसायी के द्वारा साहित्यिक पहल काबिले तारीफ है।